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मिखाईल शोलोखोव

मिखाईल शोलोखोव (1905-1984)-हमारे युग के एक महानतम उपन्यासकार हैं। उनकी प्रमुख कृतियां हैं चार खंडीय उपन्यास ‘धीरे बहे दोन रे’ तथा ‘कुंवारी भूमि का जागरण’ और ‘...जो देश के लिये लड़े’ उपन्यास।

प्रस्तुत खंड में ‘दोन की कहानियां’ माला की कुछ कहानियां हैं, जिनमें दोन क्षेत्र में गृहयुद्ध की घटनाओं का वर्णन है, सोलह वर्षीय शोलोखोब ने स्वयं इस युद्ध में भाग लिया था। ‘इंसान का नसीबा’ कहानी महान देशभक्तिपूर्ण युद्ध में सोवियत सैनिक के साहस और अडिगता को समर्पित है। ‘कुंवारी भूमि का जागरण उपन्यास सोवियत देहात में सामूहिकीकरण के काल की, सामूहिक फ़ार्म पद्धति की विजय की कहानी है। इस उपन्यास का पहला भाग इस संस्करण में रखा गया है। इनके अलावा १९६५ में नोबल पुरस्कार पाते समय शोलोखोव का भाषण भी आप यहां पायेंगे।

मिखाईल शोलोखोव

मिखाईल शोलोखोव

मूल्य: Rs. 300

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